लौह भस्म का परिचय और फायदे (Introduction and benefits of Lauh Bhasma in Hindi)
क्या आपने लौह भस्म के फायदे (loha bhasm ke fayde) के बारे में सुना है? लौह भस्म एक बहुत ही उपयोगी और उत्कृष्ट गुणवत्ता वाली आयुर्वेदिक औषधि मानी जाती है। लौह भस्म अनेक बिमारियों से छुटकारा दिलाने में मददगार है। लौह भस्म एक ऑक्साइड है जिसमे शरीर को लोहे जैसी मजबूत और सेहतमंद बनाने, जीवनशक्ति बढ़ाने, वाजीकारक व एंटी-एजिंग गुण है। यह पुरुषों, बच्चो तथा महिला प्रत्येक के लिए अत्यंत फायदेमंद माना जाता है।
आजकल एनीमिया जैसी बीमारी से बहुत लोग ग्रसित हो जाते है। यह एक पोषण संबंधी विकार है। इसका प्रमुख कारण है खून में आयरन की कमी। लौह भस्म तेजी से आयरन की मात्रा बढ़ाता है और रक्त में आयरन की कमी को पूरा करता है। इस तरह यह ब्लड में आयरन को संतुलित कर एनीमिया की समस्या से छुटकारा दिलाता है। इसके अलावा यह शारीरिक दुर्बलता, पीलिया, लीवर की सूजन, मंदाग्नि, उदार रोग, क्षय, ज्वर आदि रोगों को ठीक करने में काम आती है।
लौह भस्म कैसे बनता है? (How is Lauh bhasma Made in hindi)
शोधन विधि (Purification method)
सबसे पहले त्रिफला क्वाथ बनाकर लोहे के पतले पत्रे को अग्नि पर गर्म करके शुद्धि किया जाता है। इसका तरीका कुछ इस प्रकार है- गर्म लोहे के पत्रे को त्रिफला क्वाथ में बुझाया जाता है। यह प्रक्रिया लगातार 7 बार दोहरायी जाती है।
लौह भस्म बनाने की विधि (How to make Loha Bhasma)-
लौह भस्म बनाने के लिए शुद्ध तीक्षण एवं कांत लोहे का उपयोग किया जाता है। बराबर मात्रा में लौह चूर्ण और त्रिफला क्वाथ लेकर दोगुने पानी में काढ़ा बनाया जाता है। जब 4 में से एक भाग बच जाए तो छान लिया जाता है। शुद्ध लौह चूर्ण को पानी के साथ प्रक्षालित करके त्रिफला चूर्ण के साथ डालकर धुप में रख दिया जाता है। जब यह सुख जाता है तो दुबारा त्रिफला क्वाथ को भरकर रख दिया जाता है। यह प्रक्रिया लगातार 7 बार दोहरायी जाती है।
अब लौहचूर्ण को अच्छी तरह धोकर त्रिफला क्वाथ के साथ कड़ाही या हांड़ी में डालकर तीव्र पाक किया जाता है। जब यह सुख जाए तब इसमें शतावरी या भृंगराज आदि कषाय डालकर तीव्र आंच पर पाक किया जाता है।
इसके बाद पुटपाक के लिए इस लौह चूर्ण को जल से अच्छी तरह धोया जाता है। दोषों को दूर करने के लिए अन्य औषधियों के साथ खरल में मर्दन किया जाता है। अच्छी तरह मर्दन करके इसकी चक्रिकाएं बना कर सुखा लिया जाता है। इन चक्रिकाओं को सरावसम्पुट में गजपुट उपलों के द्वारा पाक किया जाता है। ठन्डे होने पर निकाल कर फिर से पुटपाक दिया जाता है। जितने अधिक पुट दिए जाते है उतनी ही अच्छी लौह भस्म का निर्माण होता है। पुट के आधार पर ही लौह भस्म सतपुटी (100 पूट) एवं लौह भस्म सहस्त्र्पुटी (1000 पुट) आदि का निर्माण होता है।
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लौह भस्म का परिक्षण (Test of Lauh bhasma)-
लौह भस्म का निर्माण के बाद परिक्षण अतिआवश्यक होता है, क्यूंकि अशुद्ध लौह भस्म नुकसानदायक साबित हो सकता है। इसके लिए लोहा भस्म, गो-घृत एवं शुद्ध गंधक को समान मात्रा में मिलाकर ग्वारपाठे की भावना दी जाती है। शुष्क होने पर गजपुट में पाक किया जाता है। इस विधि के द्वारा इसका परिक्षण हो जाता है। अब इसे मित्रपंचक के साथ मिलाकर धमन करने पर यदि कोई परिवर्तन नहीं होता है तो इसे सम्यक भस्म माना जाता है एवं यह सेवन योग्य होती है।
एक वाक्य में लौह भस्म के फायदे (Lauh bhasm benefits in a single sentence)
- यह पीलिया रोग को नष्ट करता है।
- यह आयु बढ़ाने वाला है, बल एवं वीर्य बढ़ाने वाला है।
- यह रोगनाशक, वाजीकारक तथा शक्तिवर्धक है ।
- यह श्रेष्ठ रसायन है।
- यह कान्तिजनना है।
- यह अग्निवर्धक है।
- यह भूख बढ़ाता है।
- यह कफ और पित्त रोगों का नाश करता है।
- यह रक्त स्तंभक और रक्तवर्धक है।
- लोहा कड़वा, कसैला, भारी, रूखा, और वातकारक है। यह आँखों के लिए हितकारी है।
बीमारी के अनुसार लौह भस्म के फायदे- (Benefits of Lauh Bhasma in hindi)
पीलिया में लाभकारी (Piliya me Loha bhasma ke fayde)-
पीलिया में लिवर की कार्य प्रक्रिया बिगड जाती है जिससे रंजक पित्त अपना कार्य ठीक से नहीं कर पाता है। यह रक्त में मिलकर उसके असली रंग को बदलने लगता है। इसमें शरीर पाचन क्रिया बिगड़ जाती है, रक्त का बनना धीमा हो जाता है, थकावट महसूस होती है। लक्षण के तौर पर हाथ-पैर के नाख़ून और आँख का रंग पीला पड़ने लगता है। इस अवस्था में लौह भस्म बहुत लाभकारी सिद्ध होता है। लौह, अभ्रक, कुटकी का क्वाथ बनाकर मधु के साथ सेवन करने पर इस घातक बीमारी से छुटकारा मिलता है शरीर में बल-वीर्य और कांति की वृद्धि होती है।
पुरुष यौन कमजोरी में फायदेमंद (Beneficial in male sexual weakness)
कमजोर स्टैमिना और शीघ्रपतन की समस्या से लाचार पुरुष इसका लाभ उठा सकते है। यह वाजीकरण गुण से परिपूर्ण है। इसके इस्तेमाल से शरीर में एनर्जी और स्टैमिना का विस्तार होता है। यह ताकत और उत्साह में वृद्धि करता है। फलस्वरूप आपकी कमजोरियां दूर होती है और आप एक रोमांचक यौन जीवन व्यतीत करने के काबिल होते है।
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दुबले व कमजोर शरीर से दिलाये राहत (Relieves from weak & lean body)
लौह भस्म को श्रेष्ठ बलवर्धक आयुर्वेदिक औषधि का दर्जा प्राप्त है। यह रक्त धातु का तेजी से निर्माण करता है। मांशपेशियों को पोषित करता है तथा ताकत प्रदान करता है। लौह भस्म यकृत को उर्जा प्रदान करती है और शरीर में ऊर्जा का संचरण करती हैं।
प्रमेह रोग में लाभकारी (Beneficial in gonorrhea)
प्रमेह रोग गानोरिआ नामक जीवाणु के कारण होता है जो महिलाओं तथा पुरुषों के प्रजनन मार्ग के गर्म तथा गीले क्षेत्र में आसानी और बड़ी तेजी से बढ़ती है। कफ या पित्तजन्य प्रमेह में लौह भस्म का प्रयोग करना अच्छा है। लौह भस्म के उपयोग से प्रमेह रोग से उत्पन्न कमजोरी दूर हो जाती है। यदि पेशाब बार-बार हो और थोड़ी-थोड़ी मात्रा में हो व पेशाब के समय मूत्रमार्ग में जलन हो, तो लौह भस्म में यशद भस्म मिलाकर देना अच्छा है।
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एनीमिया से दिलाये छुटकारा (Anemia me loha bhasma ke fayde)-
इसका मुख्य रूप से इस्तेमाल एनीमिया से बचाव के लिए किया जाता है। शरीर में खून की कमी से होने वाली समस्या एनीमिया के नाम से जानी जाती है। यह लाल रक्त कोशिकाओं को बढ़ाता है और रक्त को शुद्ध करता है। लौह भस्म रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा संतुलित करता है और पोषण की कमी से होने वाली एनीमिया रोग को ठीक करने में मदद करता है।
शुक्र धातु बढ़ाता है (Increases Semen)
यदि शरीर में शुक्र की कमी अथवा अण्डकोष की निर्बलता के कारण नपुंसकता उत्पन्न हो गयी हो, तो लौह भस्म के सेवन से दूर हो जाती है, क्योंकि लौह भस्म अण्डकोष को ताकत देती है और शुक्र की कमी की पूर्ति कर शुक्र को भी बढ़ाती है, जिससे शरीर की कान्ति बढ़ती है और शरीर के सब अवयव बलवान हो जाते हैं। शरीर बलवान होने से रोगोत्पादक (रोग उत्पन्न करने वाले) कीटाणुओं के विष का असर शरीर पर नहीं होता। इस दृष्टि से लौह भस्म विषघ्न है।
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मासिक धर्म की समस्या में फायदेमंद (Helps to fulfill blood after period)
यदि कोई महिला मासिक धर्म के दौरान अधिक रक्तस्राव से परेशान है तो उसके लिए लौह भस्म का सेवन बताया गया है। दरअसल अनियमित पीरियड से महिलाये कमजोरी व थकान महसूस करती है। लौह भस्म रक्त का निर्माण करता है, कमजोरी से राहत दिलाता है तथा पीरियड की अनियमितता में भी उपयोगी माना जाता है। आयुर्वेद के अनुसार गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिला को लौह भस्म इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
लौह भस्म के नुकसान (Side effects of lauh bhasma in hindi)
अधिक मात्रा में सेवन करने से या अशुद्ध रूप में सेवन से लौह भस्म के नुकसान हो सकते है जो निम्न है -
- इसके सेवन से कब्ज, गैस, जैसी पेट संबंधित समस्याएं हो सकती है।
- जी मिचलाने, उलटी की समस्या हो सकती है।
- मुँह का मेटलिक टेस्ट हो सकता है, मुँह का स्वाद बिगड़ सकता है।
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सही सेवन विधि और मात्रा (Intake method and quantity)–
- 125 mg – 250 mg, दिन में दो बार, सुबह और शाम लें।
- इसे शहद या घी के साथ लें।
- दवा का अनुपान रोग पर निर्भर है।
- इसे भोजन करने के बाद लें।
- या डॉक्टर द्वारा निर्देशित रूप में लें।
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